Ghazal_Poet_Najmul Hasan
गुज़शता शब यह मेरे साथ इत्तेफा़क़ हुआ
मै शोर करती हुई ख़ामशी से ख़ाक हुआ
तुम अपनी सांस भी गिरवी रखोगे हैरत है
यह ज़िंदगी से भला कौन सा मज़ाक हुआ
उठा जो शोर कभी बेबसी के पहलू से
तो एक दर्द बड़ी बेदिली से आक़ हुआ
जब एक इसम पढ़ा तो हुआ जहां रोशन
जब एक ज़िक्र किया तो मकान पाक हुआ
ज़रब जो उसने दी नफ़रत भरी निगाहों से
मैं जुफ़्त होते हुए एकदम से ताक़ हुआ
गुज़र गया मगर एहसास हो गया आख़िर
कि ईश्के़ हादसा हद दरजा खौ़फ़नाक हुआ
नजमुल हसन
एबटाबाद
غزل
گزشتہ شب یہ مرے ساتھ اتفاق ہوا
میں شور کرتی ہوئی خامشی سے خاک ہوا
تم اپنی سانسیں بھی گروی رکھو گے , حیرت ہے
یہ زندگی سے بھلا کون سا مذاق ہوا
اٹھا جو شور کبھی بےبسی کے پہلو سے
تو ایک درد بڑی بے دلی سے عاق ہوا
جب ایک اسم پڑھا تو ہوا جہاں روشن
جب ایک ذکر کیا تو مکان پاک ہوا
ضرب جو اس نے دی نفرت بھری نگاہوں سے
میں جفت ہوتے ہوئے ایک دم سے طاق ہوا
گزر گیا مگر احساس ہوگیا آخر
کہ عشق حادثہ حد درجہ خوف ناک ہوا
نجم الحسن
(ایبٹ آباد)
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